नौवीं की कक्षा में वर्णमाला, मात्रा और शब्द का देते हैं ज्ञान

नौवीं की कक्षा में वर्णमाला, मात्रा और शब्द का देते हैं ज्ञान


हाईस्कूल की कक्षा। ब्लैक बोर्ड पर वर्णमाला लिखते शिक्षक। संयुक्ताक्षरों पर व्याख्यान। चौंक गए न? पर महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज में नौंवी में हिन्दी की पढ़ाई इसी तरह ककहरा से शुरू होती है। यह पहल हिन्दी प्रवक्ता डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त ने की। पहले साल नतीजे अच्छे मिले तो पांच साल से यह पाठ्यक्रम का हिस्सा जैसे बन गया है।


यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा-2019 में करीब 10 लाख छात्रों का हिन्दी में फेल होना चिंतनीय है। कमोबेश यही हाल हर साल का है। हिन्दी में फेल होने वाले छात्रों की यह संख्या डॉ.फूलचंद को सालती थी। उन्होंने 2014 में महाराणा प्रताप इण्टर कॉलेज में बतौर हिंदी प्रवक्ता कार्यभार ग्रहण किया। शिक्षण शुरू किया तो बच्चों की बुनियाद काफी कमजोर मिली। इसके बाद उन्होंने बच्चों की नींव मजबूत बनाने की ठान ली। उन्होंने हिंदी की कक्षाओं की शुरुआत वर्णमाला, वर्तनी और शब्दों से की। कुछ ही दिन में बच्चों की काफी कमजोरियां दूर हो गईं। वह रोज कक्षा की शुरुआत कुछ इसी तरह करते हैं। शब्द, संधि, समास, कारक, विभक्ति आदि उनके नियमित शिक्षण का हिस्सा होते हैं। इतना ही नहीं वह बच्चों से सुलेख भी लिखवाते हैं।


डॉ.फूलचंद बताते हैं कि यह सिलसिला वर्ष 2000 से महराजगंज से शुरू हुआ जब उन्होंने महात्मा गांधी इंटर कालेज बृजमनगंज में हिन्दी शिक्षक के रूप में सेवा शुरू की। 2003 में महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज देवरिया में हिंदी प्रवक्ता के रूप में कार्य करने के दौरान भी उनका अभियान जारी रहा।


ये सम्मान मिले


डॉ. फूलचंद के छात्रों एवं अपने विषय के प्रति गहरे जुड़ाव के लिए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने 2016 में ही श्रेष्ठतम शिक्षक के सम्मान योगिराज बाबा गम्भीरनाथ स्वर्णपदक से सम्मानित किया था।


उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ ने साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2016 में ही भिखारी ठाकुर सर्जना सम्मान प्रदान किया था।


11 पुस्तकें प्रकाशित


डॉ. फूलचंद की कविता, निबंध, कहानी, समीक्षा और शोध ग्रंथ समेत 11 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें कई पुस्तकें भोजपुरी में हैं। 2015 से वह गोरखनाथ मंदिर से प्रकाशित धर्म अध्यात्म और संस्कृति की मासिक पत्रिका योगवाणी का संपादन कर रहे हैं।


क्या कहते हैं फूलचंद


मेरा अनुभव है कि यदि नौवीं के छात्रों को लगातार छह महीने भाषा की प्रारम्भिक शिक्षा दी जाए तो उनके भाषा ज्ञान का स्तर काफी ऊपर आ जाता है। इसका फायदा बच्चों को उच्च शिक्षा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में मिलता है।


-डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त, हिन्दी प्रवक्ता, महाराणा प्रताप इंटर कालेज